प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 दिसंबर को दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के तहत रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो लाइन की आधारशिला रखेंगे। 6 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत इस परियोजना का उद्देश्य दिल्ली और हरियाणा के बीच संपर्क में सुधार करना है। नई लाइन में दिल्ली में 10 और हरियाणा में 2 स्टेशन होंगे, जिससे दोनों क्षेत्रों के निवासियों को सुविधाजनक यात्रा विकल्प मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली मेट्रो के चौथे चरण के तहत रिठाला-नरेला-नाथूपुर कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी दे दी है। 26.463 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर से दिल्ली और हरियाणा के बीच संपर्क बढ़ेगा और इसे चार साल में पूरा करने का लक्ष्य है।
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परियोजना अवलोकन और लागत 6,230 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना को दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (DMRC) द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा, जो भारत सरकार (GoI) और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) के बीच 50:50 विशेष प्रयोजन वाहन है। यह लाइन शहीद स्थल (नया बस अड्डा) से रिठाला तक मौजूदा रेड लाइन का विस्तार करेगी।
यह भी पढ़ें : आरआईएनएल ने एपी राज्य ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2024 में स्वर्ण पुरस्कार जीताकॉरिडोर की मुख्य विशेषताएँ कनेक्टिविटी: कॉरिडोर उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के नरेला, बवाना और रोहिणी के कुछ हिस्सों को जोड़ेगा। स्टेशन: इस खंड में 21 एलिवेटेड स्टेशन शामिल होंगे, जैसे नरेला डीडीए स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और नाथूपुर।
अंतरराज्यीय संपर्क: यह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में शहीद स्थल को हरियाणा के नाथूपुर से जोड़ेगा, जिससे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव इस परियोजना से क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने, यातायात की भीड़ कम होने और वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
एलिवेटेड रोड परियोजना और रिठाला-नरेला-कुंडली मेट्रो लाइन निवासियों को बेहतर परिवहन विकल्प और कम यात्राएँ प्रदान करेगी। दिल्ली मेट्रो की उपलब्धियाँ और चरण-IV की प्रगति दिल्ली मेट्रो 392 किलोमीटर में 288 स्टेशनों के साथ 12 लाइनों का संचालन करती है, जो प्रतिदिन औसतन 64 लाख यात्रियों को सेवा प्रदान करती है। चल रहे चरण-IV निर्माण कार्य में 65.202 किलोमीटर का विस्तार है, जिसमें 56 प्रतिशत से अधिक प्रगति हुई है, जबकि दो अतिरिक्त गलियारे (20.762 किलोमीटर) प्री-टेंडर चरणों में हैं। दिल्ली मेट्रो शहर के लिए जीवन रेखा बनी हुई है, जो समय की पाबंदी, विश्वसनीयता और सुरक्षा का उदाहरण है।
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