रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की हैदराबाद स्थित प्रयोगशाला रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) ने लंबी अवधि की सुपरसोनिक दहन रैमजेट या स्क्रैमजेट संचालित हाइपरसोनिक तकनीक विकसित करने की पहल की है।
डीआरडीएल ने हाल ही में इन तकनीकों को विकसित किया है और भारत में पहली बार 120 सेकंड के लिए अत्याधुनिक सक्रिय-शीतित स्क्रैमजेट कॉम्बस्टर ग्राउंड परीक्षण का प्रदर्शन किया है। सफल ग्राउंड परीक्षण अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
यह भी पढ़ें : श्री आनंदजी प्रसाद, डब्ल्यूसीएल के नए निदेशक (तकनीकी/प्रोजेक्ट्स व प्लानिंग)भारत में पहली बार डीआरडीएल और उद्योग द्वारा संयुक्त रूप से एंडोथर्मिक स्क्रैमजेट ईंधन का स्वदेशी विकास इस सफलता का मुख्य कारण है। यह ईंधन महत्वपूर्ण शीतलन सुधार और प्रज्वलन में आसानी के दोहरे लाभ प्रदान करता है। टीम ने औद्योगिक स्तर पर डीआरडीएल की सख्त ईंधन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक विशेष विनिर्माण प्रक्रिया विकसित की।
एक अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धि अत्याधुनिक थर्मल बैरियर कोटिंग (टीबीसी) का विकास है जिसे हाइपरसोनिक उड़ान के दौरान सामना किए जाने वाले अत्यधिक तापमान का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। डीआरडीएल और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) प्रयोगशाला द्वारा संयुक्त रूप से एक नया उन्नत सिरेमिक टीबीसी विकसित किया गया है जिसमें उच्च तापीय प्रतिरोध है और जो स्टील के गलनांक से परे काम करने में सक्षम है।
यह भी पढ़ें : गेल और बीपीसीएल ने संपीड़ित बायोगैस संयंत्रों के उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किएरक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने स्क्रैमजेट इंजन के सफल ग्राउंड टेस्ट के लिए डीआरडीओ और उद्योग जगत को बधाई दी है। उन्होंने कहा, "यह उपलब्धि अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।" रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी कामत ने स्थिर दहन, बेहतर प्रदर्शन और उन्नत थर्मल प्रबंधन परीक्षण में क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए डीआरडीएल टीम और उद्योग जगत को बधाई दी।
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