मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने भारतीय नौसेना को दो कैपिटल युद्धपोत, नीलगिरी और सूरत सौंपे हैं। नीलगिरी प्रोजेक्ट 17ए क्लास शिप का पहला स्टील्थ फ्रिगेट है, जबकि सूरत प्रोजेक्ट 15बी क्लास गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर का चौथा स्टील्थ डिस्ट्रॉयर है।
अब इन युद्धपोतों का समुद्री परीक्षण किया जाएगा। दोनों युद्धपोतों को भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया है, एमडीएल द्वारा निर्मित किया गया है और मुंबई स्थित युद्धपोत निगरानी दल द्वारा इनकी देखरेख की गई है। नीलगिरी प्रोजेक्ट 17ए का प्रथम श्रेणी (एफओसी) जहाज है।
यह भी पढ़ें : पीईएसबी ने एसपीएमसीआईएल के लिए निदेशक (वित्त) की सिफारिश कीजहाज में अत्याधुनिक उन्नत तकनीक है और यह दुनिया में कहीं भी इसी श्रेणी के बेहतरीन जहाजों के बराबर है। सूरत एक शक्तिशाली प्लेटफॉर्म है जो समुद्री युद्ध से लेकर विभिन्न कार्यों और मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है।
P15B श्रेणी के विध्वंसक जहाजों में स्वदेशी सामग्री 72 प्रतिशत है, जो अपने पूर्ववर्तियों से एक पायदान ऊपर है, जो उप-विक्रेताओं के बड़े पारिस्थितिकी तंत्र विकास के साथ-साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ कार्यक्रम पर सरकार के फोकस की पुष्टि करता है।
यह भी पढ़ें : अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1337 रेलवे स्टेशनों का होगा विकासइन जहाजों की डिलीवरी एमडीएल की व्यावसायिकता, विशेषज्ञता और जटिल युद्ध प्लेटफार्मों के निर्माण में अनुभव का प्रमाण है, जो भारतीय नौसेना की ताकत को काफी हद तक बढ़ाता है। दोनों जहाज स्वदेशी रूप से निर्मित हैं, जो अत्याधुनिक तकनीक और भारत सरकार की "मेक इन इंडिया" पहल के प्रति मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। पी17ए श्रेणी के पहले स्टील्थ फ्रिगेट, नीलगिरि और पी15बी श्रेणी के चौथे गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर, सूरत के लिए स्वीकृति दस्तावेजों (डी448) पर एमडीएल के सीएमडी श्री संजीव सिंघल और आरएडीएम आर. अधीश्रीनिवासन, सीएसओ (टेक) ने एमडीएल और भारतीय नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।
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