नई दिल्ली: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस बात को खुद स्वीकार किया है कि जब उन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की संलिप्तता का आरोप लगाया था, तब उनके पास केवल खुफिया जानकारी थी, कोई ठोस सबूत नहीं था। अब इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। विदेश मंत्रायल की ओर से कहा गया है कि उसने जो सुना है वह नई दिल्ली के लगातार रुख की पुष्टि करता है। हम लगातार यह कहते आ रहे हैं कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने के लिए कोई सबूत नहीं दिए हैं।
विदेश मंत्रालय का बयान
कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के बयान से संबंधित मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार तड़के एक बयान जारी किया। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, 'आज जो हमने सुना है, वह केवल उस बात की पुष्टि करता है जो हम लगातार कहते आ रहे हैं कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के समर्थन में हमें कोई भी सबूत पेश नहीं किया है।' मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया है कि इस व्यवहार व्यवहार से भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान हुआ है, उसकी जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की ही है।
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इस बीच, यह भी ध्यान देने योग्य है कि संघीय चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थानों में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच के दौरान गवाही देते समय कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने यह दावा किया कि अगर कनाडा ने पिछले साल सितंबर में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत पर लगाए गए आरोपों को सार्वजनिक कर दिया होता, तो भारत के लिए इस शिखर सम्मेलन में असहज स्थिति पैदा हो सकती थी। उन्होंने कहा, "हमने ऐसा नहीं करने का फैसला किया। हमने पर्दे के पीछे काम जारी रखने का निर्णय लिया ताकि भारत हमारे साथ सहयोग करे।"
भारत का स्पष्ट रुख
यह भी उल्लेखनीय है कि भारत ने कनाडा के सभी आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। सोमवार को, भारत ने छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था। इसके साथ ही, निज्जर की हत्या की जांच से भारतीय राजदूत को जोड़ने के ओटावा के आरोपों को खारिज करते हुए भारत ने कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने की भी घोषणा की थी। हरदीप सिंह निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
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