आज के डिजिटल युग में, जहां तकनीक ने हमारे जीवन को अत्यधिक सरल और जुड़ा हुआ बनाया है, वहीं साइबर खतरों ने भी गंभीर चिंताएं पैदा की हैं। साइबर सुरक्षा अब केवल आईटी विभाग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यवसायों, सरकारों और व्यक्तियों के लिए एक प्राथमिकता बन गई है। व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा आज के समय की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है, क्योंकि डेटा उल्लंघन केवल वित्तीय नुकसान ही नहीं, बल्कि विश्वास और गोपनीयता को भी प्रभावित करता है। आइए, 2024 में साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में उभरते प्रमुख रुझानों पर नज़र डालते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ने साइबर सुरक्षा में क्रांति ला दी है। साइबर अपराधी AI का उपयोग कमजोरियों की पहचान, फिशिंग हमलों को अधिक विश्वसनीय बनाने और पारंपरिक सुरक्षा प्रणालियों को चकमा देने के लिए कर रहे हैं। वहीं, साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ AI-आधारित सिस्टम का उपयोग खतरे का पूर्वानुमान लगाने, असामान्य गतिविधियों का पता लगाने और स्वचालित प्रतिक्रिया के लिए कर रहे हैं। यह तकनीकी होड़ डेटा सुरक्षा के लिए AI को महत्वपूर्ण बना रही है।
ज़ीरो ट्रस्ट आर्किटेक्चर साइबर सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण ढांचा बन गया है। यह पारंपरिक सुरक्षा मॉडल से अलग है, जो नेटवर्क के अंदर की गतिविधियों पर स्वाभाविक रूप से भरोसा करता है। ZTA हर एक्सेस पॉइंट पर सख्त सत्यापन करता है, चाहे वह उपयोगकर्ता आंतरिक हो या बाहरी। यह मॉडल संवेदनशील डेटा को अंदरूनी खतरों और अन्य जटिल हमलों से बचाने में प्रभावी है।
रैनसमवेयर सबसे घातक साइबर खतरों में से एक है, और रैनसमवेयर-एज़-ए-सर्विस (RaaS) ने इसे और अधिक खतरनाक बना दिया है। इस मॉडल में साइबर अपराधी रैनसमवेयर टूल को किराए पर देकर गैर-तकनीकी अपराधियों को भी सक्षम बनाते हैं। इस तरह के हमलों को रोकने के लिए बेहतर एन्क्रिप्शन, नियमित डेटा बैकअप, और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करना आवश्यक है।
यह भी पढ़ें : कॉनकोर के सीएमडी श्री संजय स्वरूप ने ब्रेथवेट एंड कंपनी लिमिटेड का दौरा, साझेदारी को मजबूत करने पर दिया जोरIoT डिवाइसों की बढ़ती संख्या ने साइबर अपराधियों के लिए नए अवसर खोल दिए हैं। स्मार्ट होम डिवाइस, कनेक्टेड वाहन, और औद्योगिक IoT सिस्टम अक्सर कमजोर सुरक्षा प्रोटोकॉल का उपयोग करते हैं। इन डिवाइसों की सुरक्षा के लिए मजबूत प्रमाणीकरण, नियमित सॉफ़्टवेयर अपडेट, और नेटवर्क अलगाव जैसे कदम उठाने की आवश्यकता है।
दुनिया भर में सरकारें नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए सख्त कानून लागू कर रही हैं। यूरोपीय संघ के GDPR से लेकर भारत के डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 तक, कंपनियों को पारदर्शिता और डेटा के सुरक्षित उपयोग के लिए बाध्य किया जा रहा है। इन कानूनों का पालन न करने पर भारी जुर्माने और प्रतिष्ठा को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
विकेंद्रीकृत पहचान प्रणाली पारंपरिक पहचान प्रबंधन के लिए एक सुरक्षित विकल्प के रूप में उभर रही है। ये सिस्टम ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करके उपयोगकर्ताओं को उनके डिजिटल डेटा पर नियंत्रण देते हैं। यह दृष्टिकोण डेटा उल्लंघनों को कम करता है और उपयोगकर्ता की गोपनीयता को बढ़ाता है।
रिमोट और हाइब्रिड कार्य संस्कृति ने नई कमजोरियों को उजागर किया है, क्योंकि कर्मचारी सुरक्षित नेटवर्क के बाहर से कॉर्पोरेट डेटा तक पहुंच करते हैं। एंडपॉइंट सुरक्षा उपकरण, वीपीएन, और सुरक्षित सहयोग प्लेटफ़ॉर्म अब अनिवार्य हो गए हैं। साथ ही, कर्मचारियों को नियमित प्रशिक्षण देना भी महत्वपूर्ण हो गया है ताकि वे सोशल इंजीनियरिंग हमलों को पहचान सकें।
यह भी पढ़ें : मिनिरत्न पीएसयू मोइल के शेयरों में 24% तक की बढ़ोतरी, एंटीक स्टॉक ब्रोकिंग द्वारा लक्ष्य मूल्य यहां दिया गया हैयह भी पढ़ें : एमआरपीएल और ओएनजीसी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए संपादकीय