मीडिया और लोकतंत्र का अटूट संबंध
मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, क्योंकि यह जनता और सरकार के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करता है। यह न केवल जनता की आवाज़ को सामने लाता है, बल्कि सत्ताधारी वर्ग को जवाबदेह बनाने में भी अपनी भूमिका निभाता है। मीडिया का मुख्य उद्देश्य सत्य और सटीक जानकारी प्रदान करना है, ताकि जनता अपने अधिकारों, कर्तव्यों और समाज में हो रहे बदलावों के प्रति जागरूक रह सके।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस इस बात का प्रतीक है कि एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया कैसे लोकतंत्र को मज़बूत बनाता है। एक ऐसा प्रेस जो सत्य और नैतिकता के साथ कार्य करता है, वह समाज में समानता और पारदर्शिता को बढ़ावा देता है।
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना और भूमिका
राष्ट्रीय प्रेस दिवस का इतिहास 16 नवंबर 1966 से जुड़ा है, जब प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की स्थापना की गई थी। इसका उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखना और पत्रकारिता में नैतिकता और उत्कृष्टता के मानदंड स्थापित करना था। प्रेस काउंसिल को स्वतंत्र रूप से काम करने का अधिकार दिया गया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि मीडिया बाहरी हस्तक्षेप और दबाव से मुक्त रहे।
प्रेस काउंसिल को यह शक्ति दी गई है कि वह राज्य और सरकार के किसी भी ऐसे कदम पर निगरानी रख सके, जो प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित कर सकता है। इसके माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाता है कि पत्रकार अपने कर्तव्यों का पालन स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कर सकें।
उत्कृष्ट पत्रकारिता को सम्मानित करना
हर साल, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करती है। इनमें सबसे प्रतिष्ठित राजा राम मोहन रॉय पुरस्कार है, जो पत्रकारिता में सर्वोच्च योगदान देने वाले व्यक्तियों को दिया जाता है। इन पुरस्कारों का उद्देश्य पत्रकारों को उनके साहस, सत्यनिष्ठा और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना है।
विशेष स्मारिका: प्रेरणा और योगदान की झलक
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर एक स्मारिका जारी की जाती है, जिसमें प्रमुख नेताओं के संदेश, मीडिया विशेषज्ञों और शिक्षाविदों के विचार, और पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों को शामिल किया जाता है। यह स्मारिका न केवल पत्रकारिता के प्रति समाज की सराहना को दर्शाती है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनती है।
डिजिटल युग में मीडिया की भूमिका
2024 का राष्ट्रीय प्रेस दिवस डिजिटल युग में मीडिया की जिम्मेदारियों पर केंद्रित है। आज, डिजिटल मीडिया सूचनाओं को तेजी से फैलाने में अहम भूमिका निभा रहा है। हालांकि, इसके साथ ही फेक न्यूज़ और गलत जानकारी जैसी चुनौतियां भी सामने आई हैं। ऐसे में, मीडिया को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सत्यता और पारदर्शिता बनाए रखने की आवश्यकता है।
प्रेस: जनता और लोकतंत्र की आवाज़
आज के दौर में मीडिया सिर्फ खबरों तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा मंच है, जो लोगों की समस्याओं को उजागर करता है और समाज को एकजुट करता है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस हमें यह याद दिलाता है कि प्रेस का कर्तव्य केवल खबरें देना नहीं है, बल्कि समाज को शिक्षित, जागरूक और प्रगति के रास्ते पर ले जाना भी है।
राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर संदेश
आइए, इस राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर हम यह प्रण लें कि हम निष्पक्ष और सशक्त मीडिया का समर्थन करेंगे। एक ऐसा प्रेस जो स्वतंत्र हो, सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करे और हमारे लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करे, वही समाज के विकास का आधार बन सकता है।
"एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस, एक मज़बूत लोकतंत्र की पहचान है।"
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