भारत की प्रमुख लौह अयस्क उत्पादक कंपनी एनएमडीसी लिमिटेड द्वारा संचालित स्वरोजगार योजना के सकारात्मक परिणाम अब सामने आने लगे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के साथ मिलकर शुरू की गई इस लाभकारी योजना के तहत ग्रामीणों को स्वरोजगार के लिए वित्तीय सहायता मिल रही है, जिससे वे आत्मनिर्भर और सक्षम बन रहे हैं। इसे समाज कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
स्वरोजगार हेतु वित्तीय सहायता
छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र में स्थित कोंडागांव, जो देश के सबसे पिछड़े और दूरदराज इलाकों में से एक है, लंबे समय से बेरोज़गारी और पलायन जैसी समस्याओं से जूझ रहा है। क्षेत्र की कठिन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, एनएमडीसी लिमिटेड ने अपने कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के तहत इस इलाके के युवाओं और महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया। कंपनी ने स्वरोज़गार योजना के तहत युवाओं और महिलाओं को रोजगार शुरू करने के लिए आवश्यक कौशल और संसाधन प्रदान करने का कार्य शुरू किया।
एक करोड़ रुपये के प्रारंभिक बजट से शुरू की गई योजना के पहले चरण में 40 लाख रुपये की पहली किश्त जारी की गई। प्रशासन द्वारा चयनित 40 लाभार्थियों को एक-एक लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी गई। इस सहायता से लाभार्थियों ने डेयरी फार्मिंग, चाय की दुकान, मोबाइल रिपेयरिंग जैसे व्यवसायों की शुरुआत की। नतीजतन, युवक और महिलाएं अब अपने घरों से ही प्रतिमाह 15,000 से 30,000 रुपये तक की आय कमा रही हैं। एनएमडीसी के इस प्रयास से आदिवासी बहुल क्षेत्र में एक नई उम्मीद और रौशनी का संचार हुआ है।
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कोंडागांव के लिए गेम-चेंजर योजना - अधिकारी
एनएमडीसी लिमिटेड की स्वरोजगार योजना के कार्यान्वयन से जुड़े एक अधिकारी का कहना है, “कोंडागांव के लिए यह पहल गेम-चेंजर साबित होगी। इससे न केवल क्षेत्र के लोगों को स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता मिल रही है, बल्कि युवाओं और महिलाओं को उनकी क्षमता के अनुसार कौशल विकास का अवसर मिल रहा है। अब वे अपनी क्षमता को बढ़ाकर तरक्की की रफ्तार में शामिल हो सकेंगे। क्षेत्र में सफलता की कई कहानियां उभरने लगी हैं।”
बबीता सरकार की बदली दुनिया
कोंडागांव के फरसगांव ब्लॉक में स्थित जुगानी कैंप गांव की बबीता सरकार का जीवन अब पूरी तरह बदल चुका है। पहले वह दिहाड़ी मजदूरी करके मुश्किल से अपना गुजारा करती थीं, और उनकी बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए पैसे नहीं होते थे। लेकिन अब वह गर्व से बताती हैं कि कैसे एनएमडीसी की स्वरोज़गार योजना ने उनके जीवन में बदलाव लाया। “एनएमडीसी के द्वारा दी गई 1 लाख रुपये की सहायता से मैंने दो गाय खरीदी और घर से ही डेयरी व्यवसाय शुरू किया। अब मैं हर महीने 20,000 से 25,000 रुपये कमा लेती हूं, और साथ ही अपनी बेटियों की उच्च शिक्षा के लिए समर्थन कर पा रही हूं।” बबीता की आंखों में आंसू आ जाते हैं जब वह बताती हैं कि यह सब एक समय उनके लिए सिर्फ सपना था। बबीता की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे यह योजना कई परिवारों के लिए उम्मीद और आत्मसम्मान की राह खोलेगी, जिससे वे गरीबी के चक्र से बाहर निकलकर एक सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम होंगे।
लक्ष्मी निषाद की रोजाना आमदनी 800 से 1200 रुपये तक
प्रोग्राम की एक और लाभार्थी श्रीमती लक्ष्मी निषाद, जो बड़ेराजपुर गांव में स्ट्रीट वेंडर हैं, एनएमडीसी की स्वरोज़गार योजना से लाभान्वित होकर लोकल मार्केट में स्नैक्स और चाय की स्टॉल चलाती हैं। अब उनके पास बड़ेराजपुर मार्केट में अपनी चाय-पकौड़े की दुकान है, जहां वह रोजाना 800 से 1200 रुपये तक कमाती हैं। एक ग्राहक को चाय देते हुए लक्ष्मी मुस्कुराते हुए कहती हैं, ‘‘मैने कभी नहीं सोचा था कि मैं अपना व्यवसाय करूंगी। आज मुझे अपने आप पर गर्व है। एनएमडीसी से मिले सहयोग ने मेरे जीवन को पूरी तरह से बदल डाला है।’’
कोंडागांव में दिख रहा है योजना का असर
स्वरोजगार योजना का असर कोंडागांव में साफ-साफ दिखाई दे रहा है। बड़ेराजपुर के श्री तुलेस्वर नेवरा ने एनएमडीसी की वित्तीय सहायता से राशन की दुकान खोली, जो आज क्षेत्र के लोगों के लिए लाइफलाइन बन गई है। वह रोजाना 700 से 800 रुपये तक कमाते हैं और अपने समुदाय की जरूरतों को पूरा करते हैं।
आर्थिक तौर पर मजबूत बना रही है योजना
यह योजना अब तक 40 से अधिक लोगों को आत्मनिर्भर और सशक्त बना चुकी है। फंड मैकेनिज़्म आधारित यह प्रोग्राम सुनिश्चित करता है कि भावी उद्यमियों को जरूरी सहयोग और संसाधन मिलें। ज़िला प्रशासन ने पारदर्शी मॉनिटरिंग सिस्टम लागू किया है, जो यह सुनिश्चित करता है कि प्रोग्राम का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचे।
स्थायी विकास और आत्मनिर्भरता का मिशन
एनएमडीसी की यह पहल सीएसआर गतिविधि से कहीं अधिक है। यह पिछड़े इलाकों में स्थायी विकास और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का एक मिशन है। एनएमडीसी की स्वरोज़गार योजना इसका बेहतरीन उदाहरण है, जो दिखाता है कि कैसे ऐसे प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।
छत्तीसगढ़ में एनएमडीसी के सेवा प्रकल्प
एनएमडीसी अपने सीएसआर प्रयासों के माध्यम से दूरदराज के ग्रामीणों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहा है। ‘बालिका शिक्षा योजना’ हर साल 40 आदिवासी बालिकाओं को मुफ्त नर्सिंग प्रशिक्षण उपलब्ध कराती है, जबकि ‘आस्था गुरूकुल प्रोग्राम’ बच्चों को शिक्षा प्रदान कर उनके विकास में योगदान देता है। ‘सक्षम पहल’ दिव्यांग बच्चों के लिए काम करती है ताकि वे गरिमा के साथ जीवन जी सकें। इन सभी प्रयासों से एनएमडीसी की समाज कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है।