मिंट प्राइमर | आरबीआई का ₹1.5 ट्रिलियन तरलता प्रोत्साहन: इससे कैसे मदद मिलेगी?

Wed , 29 Jan 2025, 6:46 am UTC
मिंट प्राइमर | आरबीआई का ₹1.5 ट्रिलियन तरलता प्रोत्साहन: इससे कैसे मदद मिलेगी?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विदेशी मुद्रा और मुद्रा बाजार के लिए कुछ उपायों की घोषणा की है, जिससे समय के साथ कुल मिलाकर 1.5 ट्रिलियन रुपये की पूंजी आएगी।

यह घोषणा कई बैंकरों और मुद्रा बाजार सहभागियों की ओर से नकदी की मांग के बीच की गई है। मिंट इस कदम के निहितार्थों के बारे में बताता है। 

आरबीआई का बड़ा कदम: ₹1.5 लाख करोड़ की तरलता बढ़ाने के लिए विदेशी मुद्रा और मनी मार्केट उपायों की घोषणा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में विदेशी मुद्रा (Forex) और मनी मार्केट से जुड़े कई महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की है। इस फैसले से समय के साथ ₹1.5 लाख करोड़ (1.5 ट्रिलियन) की तरलता (Liquidity) बाजार में प्रवाहित होने की उम्मीद है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि देश के कई बैंक और मनी मार्केट प्रतिभागी नकदी की कमी की शिकायत कर रहे थे।

तरलता संकट और आरबीआई का हस्तक्षेप

हाल ही में, भारतीय वित्तीय बाजार में तरलता की तंगी देखी जा रही थी। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान आरबीआई से अधिक नकदी प्रवाह की मांग कर रहे थे, ताकि वे कर्ज वितरण और अन्य वित्तीय गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित कर सकें।

आरबीआई ने इस मांग को ध्यान में रखते हुए विदेशी मुद्रा और मनी मार्केट से संबंधित उपायों को लागू करने का निर्णय लिया। इन उपायों से बाजार में धन की उपलब्धता बढ़ेगी और ब्याज दरों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

आरबीआई द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम

आरबीआई ने निम्नलिखित कदम उठाने की घोषणा की है:

  1. फॉरवर्ड डॉलर-रुपया स्वैप (Forward Dollar-Rupee Swap):

    • आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर-रुपया स्वैप ऑपरेशन करेगा, जिससे बैंकों के पास अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी।
    • यह कदम विदेशी मुद्रा भंडार को स्थिर बनाए रखने और रुपये की अस्थिरता को कम करने में मदद करेगा।
  2. ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) के जरिए बॉन्ड खरीद:

    • आरबीआई खुले बाजार में सरकारी बॉन्ड खरीदेगा, जिससे बैंकों के पास अधिक पूंजी उपलब्ध होगी।
    • इससे दीर्घकालिक ब्याज दरों में स्थिरता बनी रहेगी और ऋण बाजार को मजबूती मिलेगी।
  3. रेपो और रिवर्स रेपो दरों में लचीलापन:

    • आरबीआई ने संकेत दिया है कि वह रेपो दरों और अन्य मौद्रिक नीतियों में आवश्यकतानुसार बदलाव कर सकता है, जिससे बैंकों को उधार लेने में सुविधा होगी।

इस कदम के संभावित प्रभाव

  1. बैंकों की उधारी क्षमता में वृद्धि:

    • अतिरिक्त नकदी प्रवाह से बैंक अधिक लोन दे पाएंगे, जिससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं को फायदा होगा।
  2. रुपये की स्थिरता:

    • विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप से रुपये की अस्थिरता कम होगी और भारतीय मुद्रा को मजबूती मिलेगी।
  3. ब्याज दरों पर प्रभाव:

    • बाजार में अधिक तरलता उपलब्ध होने से ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं या थोड़ी घट सकती हैं, जिससे होम लोन, ऑटो लोन और अन्य कर्ज सस्ते हो सकते हैं।
  4. शेयर बाजार पर सकारात्मक असर:

    • तरलता बढ़ने से शेयर बाजार में भी निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा और बाजार में मजबूती देखने को मिल सकती है।

निष्कर्ष

भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम वित्तीय प्रणाली में तरलता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। ₹1.5 लाख करोड़ की नकदी प्रवाह से न केवल बैंकों और वित्तीय संस्थानों को राहत मिलेगी, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। इस फैसले से ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं, रुपये को मजबूती मिल सकती है और शेयर बाजार में भी सकारात्मक संकेत देखे जा सकते हैं। आगे आने वाले महीनों में इस नीति के प्रभावों को और स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा।

यह भी पढ़ें : जेपी द्विवेदी को एसईसीएल के सीएमडी का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया
बैंक
Scroll To Top