भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विदेशी मुद्रा और मुद्रा बाजार के लिए कुछ उपायों की घोषणा की है, जिससे समय के साथ कुल मिलाकर 1.5 ट्रिलियन रुपये की पूंजी आएगी।
यह घोषणा कई बैंकरों और मुद्रा बाजार सहभागियों की ओर से नकदी की मांग के बीच की गई है। मिंट इस कदम के निहितार्थों के बारे में बताता है।
आरबीआई का बड़ा कदम: ₹1.5 लाख करोड़ की तरलता बढ़ाने के लिए विदेशी मुद्रा और मनी मार्केट उपायों की घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में विदेशी मुद्रा (Forex) और मनी मार्केट से जुड़े कई महत्वपूर्ण उपायों की घोषणा की है। इस फैसले से समय के साथ ₹1.5 लाख करोड़ (1.5 ट्रिलियन) की तरलता (Liquidity) बाजार में प्रवाहित होने की उम्मीद है। यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि देश के कई बैंक और मनी मार्केट प्रतिभागी नकदी की कमी की शिकायत कर रहे थे।
हाल ही में, भारतीय वित्तीय बाजार में तरलता की तंगी देखी जा रही थी। बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान आरबीआई से अधिक नकदी प्रवाह की मांग कर रहे थे, ताकि वे कर्ज वितरण और अन्य वित्तीय गतिविधियों को सुचारू रूप से संचालित कर सकें।
आरबीआई ने इस मांग को ध्यान में रखते हुए विदेशी मुद्रा और मनी मार्केट से संबंधित उपायों को लागू करने का निर्णय लिया। इन उपायों से बाजार में धन की उपलब्धता बढ़ेगी और ब्याज दरों पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
आरबीआई ने निम्नलिखित कदम उठाने की घोषणा की है:
फॉरवर्ड डॉलर-रुपया स्वैप (Forward Dollar-Rupee Swap):
ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) के जरिए बॉन्ड खरीद:
रेपो और रिवर्स रेपो दरों में लचीलापन:
बैंकों की उधारी क्षमता में वृद्धि:
रुपये की स्थिरता:
ब्याज दरों पर प्रभाव:
शेयर बाजार पर सकारात्मक असर:
भारतीय रिजर्व बैंक का यह कदम वित्तीय प्रणाली में तरलता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है। ₹1.5 लाख करोड़ की नकदी प्रवाह से न केवल बैंकों और वित्तीय संस्थानों को राहत मिलेगी, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा। इस फैसले से ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं, रुपये को मजबूती मिल सकती है और शेयर बाजार में भी सकारात्मक संकेत देखे जा सकते हैं। आगे आने वाले महीनों में इस नीति के प्रभावों को और स्पष्ट रूप से देखा जा सकेगा।
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